Zihn Mein Kuch Sher The
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Zihn Mein Kuch Sher The
Number of Pages : 112
Published In : 2021
Available In : Hardbound
ISBN : 9788194928775
Author: Avdhesh Pratap Singh Sandal
Overview
संदल गज़ल को गज़ल की तरह जीने में माहिर हैं। गम में खुशियाँ तलाशते शेर, जिंदगी जीने का साहस बिखेरते देखे जा सकते हैं। समाज में बिखरे तमाम विद्रूपों को चाक पर डाल कर एक अलग अंदाज़ में, एक नये सूरत में बखूबी परोसने की कला देखने लायक है। संकेतों और प्रतीकों में छलकते इंसानी दर्द को कागज़ पर हू-ब-हू उकेरने और सामाजिक कुरीतियों पर मुस्कराते हुए प्रहार करने की कला सीखने लायक है। आने वाला वक्त इन्हें सच्ची शायरी के लिए जानेगा। —ललित कुमार सिंह, पटना, बिहार
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संदल गज़ल को गज़ल की तरह जीने में माहिर हैं। गम में खुशियाँ तलाशते शेर, जिंदगी जीने का साहस बिखेरते देखे जा सकते हैं। समाज में बिखरे तमाम विद्रूपों को चाक पर डाल कर एक अलग अंदाज़ में, एक नये सूरत में बखूबी परोसने की कला देखने लायक है। संकेतों और प्रतीकों में छलकते इंसानी दर्द को कागज़ पर हू-ब-हू उकेरने और सामाजिक कुरीतियों पर मुस्कराते हुए प्रहार करने की कला सीखने लायक है। आने वाला वक्त इन्हें सच्ची शायरी के लिए जानेगा। —ललित कुमार सिंह, पटना, बिहार
संदल की गज़लों में अपनी धरोहर के प्रति अनुराग, वर्तमान के प्रति सजगता और भविष्य के प्रति विश्वास है। नये दृष्टिकोण, नये रंग और नये स्वभाव की ये गज़लें पाठक को मुग्ध कर देती हैं। समकालीन गज़ल के शृंगार में संदल के अशआर सुगंध की सामग्री है। बधाई हो गज़ल! विजय स्वर्णकार, नई दिल्ली "