Jannat Javidan

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Jannat Javidan

Number of Pages : 197
Published In : 2015
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5262-8
Author: Uma

Overview

उमा का यह उपन्यास जिन्दगी के तनावों तथा दबावों के साथ ही जिन्दगी में निरन्तरता को रेखांकित करता हैं। बदलते वक़्त में जिन्दगी की जरूरतें बदल गयी हैं, बदली हैं मान्यताएँ भी। एकल अभिभावक की फिक्र के साथ ही, एक बच्चे की सोच को आज के परिप्रेक्ष्य में उभरा गया है। साथ ही लेखिका ने अपने भाषाई मुहावरे में उपन्यास को पठनीय और प्रभावशाली बनाने का प्रयत्न कया है। उमा अपने इस उपन्यास में नारी जीवन के सतत् संघर्ष को पूरी ईमानदारी से उद्घाटित करती हैं। प्रेम में घोखा-टूटन का होना बनी आस्वाभिवक नहीं है। विषयवस्तु के समानान्तर उपन्यास के कुछ ऐसे उजले चरित्र है जो पूरी कथामें नया रंग भरते प्रतीत होते हैं, जिसमें स्त्री और पुरुष के मनोविज्ञान को शिद्दत से उजागर किया है।

Price     Rs 260/-

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उमा का यह उपन्यास जिन्दगी के तनावों तथा दबावों के साथ ही जिन्दगी में निरन्तरता को रेखांकित करता हैं। बदलते वक़्त में जिन्दगी की जरूरतें बदल गयी हैं, बदली हैं मान्यताएँ भी। एकल अभिभावक की फिक्र के साथ ही, एक बच्चे की सोच को आज के परिप्रेक्ष्य में उभरा गया है। साथ ही लेखिका ने अपने भाषाई मुहावरे में उपन्यास को पठनीय और प्रभावशाली बनाने का प्रयत्न कया है। उमा अपने इस उपन्यास में नारी जीवन के सतत् संघर्ष को पूरी ईमानदारी से उद्घाटित करती हैं। प्रेम में घोखा-टूटन का होना बनी आस्वाभिवक नहीं है। विषयवस्तु के समानान्तर उपन्यास के कुछ ऐसे उजले चरित्र है जो पूरी कथामें नया रंग भरते प्रतीत होते हैं, जिसमें स्त्री और पुरुष के मनोविज्ञान को शिद्दत से उजागर किया है।
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