Asahamati

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Asahamati

Number of Pages : 104
Published In : 2013
Available In : Hardbound
ISBN : 9789326351119
Author: Harish Chandra Pandey

Overview

"असहमति हरीश चन्द्र पांडे की कविताई का अपना ढब और अपनी रवायत है। इनकी कविताएँ इस संज्ञाहीन-रीढ़हीन समय में अपनी $खास श$िख्सयत के साथ दरपेश होती हैं। यहाँ एक तर$फ व्यतीत की वर्तमानता है तो दूसरी तर$फ भावी समय की भयावह अनुगूँजे भी। कई बार प्रतीत होता है कि हरीश चन्द्र पांडे चुप्पी के कवि हैं। शब्दों से ठसाठस भरे इस समय में हालाँकि चुप्पी भी एक प्रतिकार है, लेकिन हरीश के यहाँ यह चुप्पी र$फ्ता-र$फ्ता बोलती है। थम-थम कर, अर्थ की वजन को थाम-थाम कर। हरीश को पढ़ते हुए अक्सर शब्दों के बीच का अन्तराल (जिसका $खूबसूरत और सुदर्शन प्रयोग वे करते हैं) अपने $खालीपने में छल-छल भरा हुआ दिखता है। कविता के प्रदेश में नितान्त संग्रहणीय पुस्तक। —कुणाल सिंह "

Price     Rs 120/-

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"असहमति हरीश चन्द्र पांडे की कविताई का अपना ढब और अपनी रवायत है। इनकी कविताएँ इस संज्ञाहीन-रीढ़हीन समय में अपनी $खास श$िख्सयत के साथ दरपेश होती हैं। यहाँ एक तर$फ व्यतीत की वर्तमानता है तो दूसरी तर$फ भावी समय की भयावह अनुगूँजे भी। कई बार प्रतीत होता है कि हरीश चन्द्र पांडे चुप्पी के कवि हैं। शब्दों से ठसाठस भरे इस समय में हालाँकि चुप्पी भी एक प्रतिकार है, लेकिन हरीश के यहाँ यह चुप्पी र$फ्ता-र$फ्ता बोलती है। थम-थम कर, अर्थ की वजन को थाम-थाम कर। हरीश को पढ़ते हुए अक्सर शब्दों के बीच का अन्तराल (जिसका $खूबसूरत और सुदर्शन प्रयोग वे करते हैं) अपने $खालीपने में छल-छल भरा हुआ दिखता है। कविता के प्रदेश में नितान्त संग्रहणीय पुस्तक। —कुणाल सिंह "
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