Sunita
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Sunita
Number of Pages : 176
Published In : 2017
Available In : Paperback
ISBN : 978-93-263-5205-5
Author: Jainendra Kumar
Overview
पुस्तक में मैंने कहानी कोई लम्बी चौड़ी नहीं कही है कहानी सुनाना मेरा उद्देश्य ही नहीं है अत तीन चार व्यक्तियों से ही मेरा काम चल गया है. इस विश्व के छोटे-से-छोटे खंड को लेकर हम अपना चित्र बना सकते है और उसमे सत्य के दर्शन पा सकते है उसके द्वारा हम सत्य के दर्शन करा भी सकते है जो ब्रह्माण्ड में है वही पिंड में भी है. इसलिए अपने चित्र के लिए बड़े कैनवस की जरूरत मुझे नहीं हुई. थोड़े में समयता क्यों न दिखाई जा सके जैनेन्द्र कुमार
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पुस्तक में मैंने कहानी कोई लम्बी चौड़ी नहीं कही है कहानी सुनाना मेरा उद्देश्य ही नहीं है अत तीन चार व्यक्तियों से ही मेरा काम चल गया है. इस विश्व के छोटे-से-छोटे खंड को लेकर हम अपना चित्र बना सकते है और उसमे सत्य के दर्शन पा सकते है उसके द्वारा हम सत्य के दर्शन करा भी सकते है जो ब्रह्माण्ड में है वही पिंड में भी है. इसलिए अपने चित्र के लिए बड़े कैनवस की जरूरत मुझे नहीं हुई. थोड़े में समयता क्यों न दिखाई जा सके जैनेन्द्र कुमार