Kanupriya
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Number of Pages : 82
Published In : 2015
Available In : Paperback
ISBN : 978-81-263-3079-9
Author: Dharamvir Bharti
Overview
राधा-कृष्ण का प्रणय प्रसंग और भारती की लेखनी. यह सुयोग ही इस बात का स्वयंसिद्ध प्रमाण है कि 'कनुप्रिया' का आविभार्व साहित्य लोक की एक विशिष्ट घटना है.'कनुप्रिया' में पूर्वराग, मंजरी-परिणय और सृष्टि-संकल्प के अंतर्गत जहा बहुमुखी पर्णय के विविध आयाम प्राणों की धारा में से प्रस्फुटित होकर प्रक्रति के प्रतिको में सार्थक तादात्म्य प्राप्त करते है, वहां इतिहास और समापन के अध्याय राधा के प्रणय को एक सर्वथा नयी दृष्टि और नया परिप्रेक्ष्य देते है. राधा आज उसी अशोक वृक्ष के नीचे, उन्ही मजरियों से अपनी कँवारी मांग भर खड़ी है इस प्रतीक्षा में की जब महाभारत की अवसान-वेला में अपनी अठारह अक्षौहिणी सेना के विनाश के बाद निरीह एकाकी और आकुल कृष्ण किसी भूले हुए आंचल की छाया में विश्राम पाने लौटेंगे तो वह उन्हें अपने वक्ष में शिशु-सा लपेट लेगी.
Price Rs 80/-
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